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यूपी के कई शहरों में बारिश व धूल भरी आंधी चलने के आसार

उत्तर प्रदेश के कानपुर समेत आसपास के जिलों में लगातार पड़ रही भीषण गर्मी से जल्द ही कुछ राहत मिलने की उम्मीद है। चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के मौसम विभाग के अनुसार अगले सप्ताह पश्चिमी विक्षोभ (हवा के कम दबाव वाला क्षेत्र) के सक्रिय होने की संभावना है। इसके चलते 13 से 17 अप्रैल के बीच धूल भरी आंधी के साथ बारिश भी हो सकती है। मौसम के इस बदलाव का असर दिल्ली, हरियाणा, पंजाब के साथ पश्चिमी यूपी व कानपुर मंडल के जिलों में पड़ेगा। बारिश ही वजह से तापमान में भी कमी आ सकती है।चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (सीएसए) के मौसम विशेषज्ञ डॉ. एसएन पांडेय के अनुसार मार्च में चार पश्चिमी विक्षोभ हिमालय की पहाड़ियों में बने, लेकिन उनकी सक्रियता दूर तक नहीं रही। इसी वजह से गर्मी का असर दिनोंदिन बढ़ता गया। अब 12 अप्रैल की आधी रात से फिर पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय हो रहा है, जो पश्चिमी हिमालय से शुरू होकर उप्र सहित कई राज्यों की तरफ बढ़ेगा।

इसके साथ ही 15 को एक और विक्षोभ बनने की उम्मीद है, जो 17 अप्रैल तक सक्रिय रह सकता है। जिसके चलते कानपुर समेत कानपुर देहात, उन्नाव, हमीरपुर, हरदोई, फतेहपुर, फर्रूखाबाद, बांदा, जालौन, महोबा, कन्नौज, चित्रकूट, इटावा आदि जिलों में 13 से 17 अप्रैल के बीच धूल भरी आंधी के साथ बारिश भी हो सकती है। गर्मी के इस सीजन की यह पहली बारिश होगी।

कानपुर में लगातार 40 पार चल रहे पारे से लोगों में दिक्कत शुरू हो गई है। रविवार को लू लगने से बेहोशी की हालत में चार लोगों को हैलट इमरजेंसी लाया गया। इसके साथ ही गर्मी की वजह से दो ब्रेन अटैक के रोगी अस्पताल भी भर्ती किए गए हैं। नियंत्रित चल रहे न्यूरो और गुर्दा रोग के मरीजों की तबियत बिगड़ गई है। डॉक्टरों का कहना है कि तपिश बढ़ने से लू लगने के रोगी आने लगे हैं। लू से किसी की मौत की सूचना नहीं है।

वहीं, गर्मी के अचानक बढ़ जाने से वायरल संक्रमण भी तेज हो गया है। लोगों को तेज बुखार आ रहा है। इसके साथ ही डायरिया और गैस्ट्रोइंटाइटिस की दिक्कत शुरू हो गई है। मेडिसिन विभाग के सीनियर फिजिशियन डॉ. जेएस कुशवाहा ने बताया कि लू लगने के रोगियों में मुंह सूखना, तेज थकान के लक्षण दिख रहे हैं। इसके साथ ही पेट के रोगी भी बढ़ गए हैं। गर्मी का शरीर में प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। शरीर में पानी और नमक की कमी हो जाने से गुर्दों पर भी असर आ रहा है। मेडिसिन विभागाध्यक्ष डॉ. रिचा गिरि का कहना है कि रोगियों की संख्या बढ़ गई है। तेज बुखार है। लेकिन जांच में कोविड, मलेरिया, डेंगू नहीं निकल रहा है।

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