उत्तराखण्ड

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने चुनाव से पहले किए गए वायदे को पूरा करने की दिशा में महत्वपूर्ण पहल की

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने चुनाव से ठीक पहले किए गए वायदे को पूरा करने की दिशा में महत्वपूर्ण पहल कर दी। जनसांख्यिकीय बदलाव की समस्या से जूझती देवभूमि उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लागू करने की घोषणा पर मुख्यमंत्री के रूप में दूसरी पारी शुरू करते समय धामी का रुख क्या होगा, इसे लेकर कयास लगाए जा रहे थे।

मंत्रिमंडल की पहली बैठक में ही पेचीदा समझे जा रहे इस मामले में निर्णय लेकर धामी ने अपने तेवर भी दर्शा दिए हैं।

कई महत्वपूर्ण निर्णय लेकर चौंकाया था धामी ने

चुनाव से महज करीब सात महीने पहले मुख्यमंत्री की अपनी पहली पारी में पुष्कर सिंह धामी ने कई महत्वपूर्ण निर्णय लेकर चौंकाया था। उत्तराखंड में चुनावी महायुद्ध के दौरान धामी ने भाजपा की सरकार बनने पर समान नागरिक संहिता लागू करने की घोषणा कर दी। देश में समान नागरिक संहिता लागू करने को लेकर उठते सुरों के बीच उनकी घोषणा को चुनावी दृष्टि से मास्टर स्ट्रोक माना गया।

मुख्यमंत्री धामी ने उत्तरप्रदेश की राह पर ही कदम आगे बढ़ाए

समान नागरिक संहिता के मामले में मुख्यमंत्री धामी ने उत्तरप्रदेश की राह पर ही कदम आगे बढ़ाए थे। चुनाव के मौके पर उत्तराखंड की सीमा से सटे उत्तरप्रदेश के सहारनपुर में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से समान नागरिक संहिता लागू करने की पैरवी की थी।

धामी ने भी तुरंत इस मुद्दे को लपककर उत्तराखंड के चुनावी महायुद्ध में बतौर दांव आगे कर दिया। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में भाजपा सरकार बनने पर समान नागरिक संहिता लागू करने की दिशा में कदम बढ़ाए जाएंगे। भाजपा के राष्ट्रीय एजेंडे में भी यह विषय प्रमुखता से शामिल रहा है।

मुख्यमंत्री के रूप में दूसरी पारी शुरू

चुनाव के बाद प्रदेश में मुख्यमंत्री के रूप में दूसरी पारी शुरू करते ही धामी ने इस मामले में अपना रुख जाहिर करने में देर नहीं लगाई। मंत्रिमंडल की पहली बैठक का मुख्य मुद्दा समान नागरिक संहिता रहा। दरअसल, उत्तराखंड में बीते 10 वर्षों में जनसांख्यिकीय बदलाव तेज गति से हुआ है। देवभूमि के स्वरूप में इस बदलाव से नागरिकों में चिंता झलकने लगी है।

समान नागरिक संहिता के मुद्दे को लपककर धामी ने प्रदेशवासियों की नब्ज पर हाथ रखने की कोशिश की है। अब दोबारा मुख्यमंत्री बनने के बाद धामी ने यह भी जता दिया है कि वह चुनावी वायदों को जमीन पर उतारने का माद्दा भी रखते हैं।

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