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मुख्यमंत्री योगी ने मॉरिशस के प्रधानमंत्री के साथ की बैठक

वाराणसी: मॉरिशस के प्रधानमंत्री प्रविंद्र कुमार जगन्नाथ के साथ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार सुबह नदेसर स्थित तारांकित होटल में बैठक की। इससे पहले राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने भी होटल पहुंच कर मॉरिशस के प्रधानमंत्री से शिष्टाचार मुलाकात की। इस दौरान दोनों देशों के आधिकारिक प्रतिनिधि भी मौजूद रहे। बैठक में उत्तर प्रदेश में निवेश और व्यापार की संभावनाओं पर विचार किया गया। बैठक के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रविंद जगन्नाथ वाराणसी एयरपोर्ट के लिए रवाना हो गए। मॉरिशस के प्रधानमंत्री तीन दिवसीय वाराणसी यात्रा पर बुधवार शाम वाराणसी पहुंचे थे।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गुरुवार देर रात वाराणसी पहुंचे थे। बाबतपुर एयरपोर्ट से सीधे वह काशी विश्वनाथ मंदिर पहुंचे और काशी पुराधिपति का विधिवत दर्शन पूजन किया। इसके बाद उन्होंने सर्किट हाउस में अधिकारियों से वाराणसी के विकास कार्यों और कानून व्यवस्था के बारे में संक्षिप्त बैठक की। इस दौरान उन्होंने मॉरिशस के पीएम के कार्यक्रम सहित अन्य जानकारियां भी लीं।  इसके बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ देर रात संदहां पहुंचे। जहां उन्होंने रिंग रोड फेज-2 के चंदौली तक जाने वाले मार्ग का निरीक्षण किया।

तीन दिवसीय काशी दौरे पर आए मॉरिशस के प्रधानमंत्री का अभिनंदन जीआई क्राफ्ट से भी किया गया। उनके लिए खास तरह का अंगवस्त्रम तैयार किया गया है, कुछ विशेष स्टोन जाली क्राफ्ट से तैयार मॉरिशस के राष्ट्रीय पक्षी डोडो को उकेरते हुए अंगवस्त्रम तैयार किया गया।

बनारसी अंगवस्त्रम पर जरदोजी विधि से मॉरिशस और भारत के झंडे को बनाकर उस पर दोनों देशों के नाम झालर के साथ तैयार किया गए हैं। अंगवस्त्रम को सीएम योगी ने मॉरिशस के प्रधानमंत्री को भेंट किया। 

पद्मश्री व जीआई विशेषज्ञ डॉ. रजनीकांत ने बताया कि रामनगर निवासी स्टेट अवॉर्डी बच्चा लाल मौर्या शिल्पी की टीम ने इसे आठ दिन में तैयार किया। नक्काशी ऊपर से की गई। फिर अंगवस्त्रम को केसरिया रंग के बॉक्स में पैक किया गया है। इसी प्रकार जमालुद्दीन अंसारी और शादाब आलम द्वारा अंगवस्त्रम पर जरदोजी विधि से मॉरिशस और भारत के झंडे को बनाया।

मॉरिशस के राष्ट्रीय पक्षी क्राफ्ट से काशी के शिल्पियों के लिए व्यापार का एक नया मार्ग खुलेगा। डॉ. रजनीकांत ने बताया कि मॉरिशस में रहने वाले भोजपुरी समाज में यहां के पूजा पात्र के साथ ही रेशम के वस्त्र और आभूषण, साड़ी की मांग रहती है। लकड़ी के खिलौने भी अपनी पकड़ वहां बनाए हुए हैं।

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