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ज्यादा सांसदों ने राजपक्षे का साथ छोड़ा, प्रधानमंत्री की भतीजी देश से भागीं

श्रीलंका में जारी आर्थिक संकट के बीच अब राजनीतिक संकट खड़ा होने के आसार दिखने लगे हैं। राष्ट्रपति गोतबाया राजपक्षे की कोशिश के बाद भी सर्वदलीय सरकार नहीं बन सकी। इस बीच अब सत्ताधारी पार्टी में भी टूट होने लगी है। संकट के दौरान ही राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री की भतीजी और पूर्व उप मंत्री निरुपमा ने देश छोड़ दिया है। निरुपमा पर भ्रष्टाचार के आरोप हैं। उनका नाम पैंडोरा पेपर्स में भी आया था। 

श्रीलंकाई संसद की सदस्य संख्या 225 है। यानी, किसी पार्टी को बहुमत के लिए 113 सीटों की जरूरत होती है। मौजूदा सदन में सत्ताधारी पार्टी- श्रीलंका पीपुल्स फ्रीडम अलायंस (एसएलपीएफए) के 145 सांसद हैं। एसएलपीएफए को दो सांसदों वाली ईलम पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (ईपीडीपी), एक-एक सीट वाली तमिल मक्कल विदुथलाई पुलिकली, नेशनल कांग्रेस और श्रीलंका फ्रीडम पार्टी का समर्थन भी है। इस तरह सत्ताधारी गठबंधन के पास कुल 150 सांसदों का समर्थन था। विपक्ष के 75 सांसद हैं। इनमें सबसे बड़ा दल ‘समागी जाना बालवेगया’ है। इसके नेता सजिथ प्रेमदासा विरोध पर्दशनों का सबसे बड़ा चेहरा भी हैं।

दो-तिहाई बहुमत के साथ सत्ता में काबिज राजपक्षे को मंगलवार को बड़ा झटका लगा। दरअसल, राजपक्षे सरकार के कई सहयोगी दलों के साथ ही उनकी पार्टी के नेताओं ने एलान किया कि वे सदन में अब सत्ताधारी गठबंधन का हिस्सा नहीं हैं। सदन में ये सांसद अब स्वतंत्र सांसद के रूप में बैठेंगे। यानी, राजपक्षे सरकार को अब इन सांसदों का समर्थन नहीं है। बताया जा रहा है कि सरकार से अलग होने वाले इन सांसदों की संख्या कम से कम 41 है। 

देश छोड़ने वाली राजपक्षे की भतीजी कौन हैं? जब महिंदा राजपक्षे राष्ट्रपति थे उस वक्त निरुपमा डिप्टी मिनिस्टर रही थीं। अक्तूबर 2021 में सामने आए पैंडोरा पेपर्स में निरुपमा और उनके पति का नाम सामने आया था। निरुपमा के पिता जॉर्ज राजपक्षे महिंदा के चचेरे भाई थे। जॉर्ज भी 1960 से 1976 के दौरान सांसद और श्रीलंका के स्वास्थ्य मंत्री रहे थे। निरुपमा के साथ उनके पति ने भी देश छोड़ दिया है। निरुपमा के पति श्रीलंका के अरबपति बिजनेसमैन हैं। विपक्ष का दावा है कि आर्थिक संकट पर जनता के बढ़ते गुस्से को देखते हुए राजपक्षे परिवार के कई सदस्य श्रीलंका से भाग सकते हैं। निरुपमा के दुबई जाने के साथ ही इसकी शुरुआत हो गई है।

श्रीलंका में आर्थिक संकट के चलते हर दिन हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं। यहां तक कि दवाओं और मेडिकल उपकरणों की भी भारी कमी है। हालत ये है कि बुधवार को सरकारी अस्पतालों के मेडिकल स्टाफ भी सड़क पर आ गया। पूरे देश में सरकारी स्वास्थ्यकर्मियों ने दवाओं और स्वास्थ्य उपकरणों की कमी के विरोध में प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों का आरोप था कि सरकार हजारों लोगों की जान से खिलवाड़ कर रही है।

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