कर्णप्रयाग शहर भी इन दिनों भवनों में दरारें पड़ने से चिंतित, विस्तृत भूगर्भीय सर्वेक्षण कराएगी धामी सरकार

कर्णप्रयाग शहर भी इन दिनों भवनों में दरारें पड़ने से चिंतित, विस्तृत भूगर्भीय सर्वेक्षण कराएगी धामी सरकार

देहरादून: बदरीनाथ धाम की यात्रा का सबसे महत्वपूर्ण पड़ाव जोशीमठ शहर पहले ही भूधंसाव का दंश झेल रहा है और अब कर्णप्रयाग ने भी चिंता बढ़ा दी है। यद्यपि, यहां जोशीमठ जैसी स्थिति नहीं है, लेकिन विभिन्न कारणों से शहर के एक हिस्से में भवनों को क्षति पहुंची है। अभी तक ऐसे 48 भवन चिह्नित किए जा चुके हैं, जिनमें दरारें आई हैं। पंचप्रयाग में से एक कर्णप्रयाग भी बदरीनाथ यात्रा का दूसरा मुख्य पड़ाव है। यहां आई मुसीबत से पार पाने के लिए सरकार सक्रिय हो गई है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कर्णप्रयाग का विस्तृत भूगर्भीय सर्वेक्षण कराने के निर्देश दिए हैं। आइआइटी रुड़की और भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण को जिम्मेदारी सौंपने की तैयारी है।

महत्वपूर्ण शहर है कर्णप्रयाग

सीमांत चमोली जिले के जोशीमठ शहर से 82 किलोमीटर दूर है कर्णप्रयाग। गंगा की सबसे बड़ी सहायक नदी अलकनंदा व पिंडर के संगम तट पर बसे इस शहर को पंचप्रयाग में शामिल होने का गौरव प्राप्त है। अन्य चार प्रयाग हैं, विष्णुप्रयाग, नंदप्रयाग, रुद्रप्रयाग व देवप्रयाग। इन सभी का धार्मिक व आध्यात्मिक महत्व है। कर्णप्रयाग को ही लें तो यह बदरीनाथ यात्रा का दूसरा महत्वपूर्ण पड़ाव है। यह शहर ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण को जोड़ता है तो गढ़वाल व कुमाऊं दोनों मंडलों को सीधे आपस में जोड़ने वाली सड़क यहीं से गुजरती है। पहाड़ों में रेल नेटवर्क की दिशा में ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना का यह अंतिम स्टेशन भी है।

आपदा प्रबंधन सचिव डा रंजीत कुमार सिन्हा ने बताया कि मुख्यमंत्री के निर्देशों के क्रम में अब पूरे कर्णप्रयाग का आइआइटी से जियो टेक्निकल और भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण से भूगर्भीय सर्वेक्षण कराया जाएगा। उन्होंने बताया कि ‘कर्णप्रयाग के जिस क्षेत्र में भवनों में दरारें आई हैं, उसका आइआइटी रुड़की से जियो टेक्निकल सर्वे कराया जा रहा है।

भवनों में दरारें पड़ने से चिंतित है शहर

कर्णप्रयाग शहर भी इन दिनों भवनों में दरारें पड़ने से चिंतित है। बहुगुणानगर व आइटीआई क्षेत्र में भवनों को अलग-अलग कारणों से नुकसान हो रहा है। यहां 22 घरों को क्षति पहुंची है। 48 ऐसे घर चिह्नित किए जा चुके हैं, जिनमें दरारें पड़ी हैं। इस परिदृश्य के बीच कर्णप्रयाग के लोग भी चिंता में घुले जा रहे हैं।

ये माने जा रहे कारण

कर्णप्रयाग क्षेत्र के विधायक अनिल नौटियाल के अनुसार कर्णप्रयाग की स्थिति जोशीमठ से अलग है। यहां भवनों को पहुंची क्षति और दरारें पड़ने के भिन्न-भिन्न कारण हैं। कुछ घरों को पूर्व में सड़क निर्माण के दौरान क्षति पहुंची तो कुछ को अतिवृष्टि से। अलकनंदा व पिंडर नदियों से हो रहे भूकटाव को भी कारण माना जा रहा है। उन्होंने बताया कि रेल परियोजना की टनल शहर से काफी दूर है। इससे भवनों को नुकसान पहुंचने की संभावना क्षीण है।

अब सरकार हुई सक्रिय

जोशीमठ को बचाने के लिए सरकार दिन-रात एक किए है। इसके साथ ही उसने कर्णप्रयाग पर भी ध्यान केंद्रित किया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी लगातार कर्णप्रयाग की स्थिति का अपडेट ले रहे हैं। कर्णप्रयाग के विधायक नौटियाल ने भी मुख्यमंत्री से वार्ता कर प्रभावितों के पुनर्वास के साथ ही जोशीमठ की भांति कर्णप्रयाग का विस्तृत भूगर्भीय सर्वेक्षण कराने का आग्रह किया। मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद अब इसे लेकर तंत्र भी सक्रिय हो गया है।

editor

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *